Thu , 29 May 2025
join prime

Top News - Aviral Times

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती
देश
12-Feb-2023

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती

स्वामी दयानन्द सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक के रूप में पूज्यनीय हैं। स्वामी दयानंद एक महान देशभक्त एवम मार्गदर्शक थे, जिन्होंने अपने कार्यो से समाज को नई दिशा एवं ऊर्जा दी। महात्मा गांधी जैसे कई वीर पुरुष स्वामी दयानन्द सरस्वती के विचार से प्रभावित थे। स्वामी जी का जन्म 12 फरवरी 1824 को हुआ। वे जाति से एक ब्राह्मण थे और उन्होंने ब्राह्मण शब्द को अपने कर्मो से परिभाषित किया। ब्राह्मण वही होते हैं जो ज्ञान का उपासक हो और अज्ञानी को ज्ञान देने वाला दानी। स्वामी दयानंद ने जीवन भर वेदों और उपनिषदों का पाठ किया।स्वामी जी ने कहा निराकार ओंकार में भगवान का अस्तित्व है, वैदिक धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताया। वर्ष 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। 1857 की क्रांति में भी स्वामी जी ने अपना योगदान दिया। अंग्रेजी हुकूमत से जमकर लोहा लिया और उनके खिलाफ एक साजिश के चलते 30 अक्टूबर 1883 को उनकी मृत्यु हो गई। उनके बचपन का नाम 'मूलशंकर' था। उन्होंने वेदों के प्रचार के लिए मुम्बई में आर्यसमाज की स्थापना की। 'वेदों की ओर लौटो' यह उनका ही प्रमुख नारा था । उन्होने कर्म सिद्धान्त, पुनर्जन्म तथा सन्यास को अपने दर्शन के स्तम्भ बनाया। उन्होने ही सबसे पहले १८७६ में 'स्वराज्य' का नारा दिया जिसे बाद में लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया। प्रथम जनगणना के समय स्वामी जी ने आगरा से देश के सभी आर्यसमाजो को यह निर्देश भिजवाया कि 'सब सदस्य अपना धर्म ' सनातन धर्म' लिखवाएं।
राजनीतिक पराधीनता के कारण विचलित, निराश व हताश भारतीय जनमानस को महर्षि दयानंद सरस्वती ने आत्मबोध, आत्मगौरव, स्वाभिमान एवं स्वाधीनता का मंत्र प्रदान किया। स्वामी दयानंद 19वीं सदी के नवजागरण के सूर्य थे, जिन्होंने मध्ययुगीन अंधकार का नाश किया।

join prime